Tuesday, March 11, 2014

भगत सिंह का निजीकरण


निजीकरण का विरोध करने से मिडिल क्लास नाराज़ हो सकता है। भगत सिंह का नाम बेचने से युवा वर्ग साथ आ सकता है। इसीलिए सबसे अच्छा होगा कि भगत सिंह का निजीकरण कर दिया जाए ताकि मध्य वर्ग भी साथ रहे और युवाओं के भी वोट मिल सके।

ये सुझाव आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल तक शायद पहुँचे। इस सुझाव का उन तक पहुँचना ज़रूरी है क्योंकि देश में भ्रष्टाचार मिटाने के लिए जरूरी है कि उनकी पार्टी सभी 545 सीटों पर जीत हासिल करे। ऐसा होने के लिए ये भी जरूरी है कि उनके हर इंटरव्यू में भगत सिंह की ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर बैकग्राउंड में नज़र आए।

भगत सिंह के निजीकरण का प्रस्ताव इसलिए भी दिया जाना चाहिए क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी वाले आपस में मिले हुए हैं। इन्होंने मिल कर भगत सिंह को शहीद का दर्जा नहीं दिया है। लोग चाहे भगत सिंह को शहीद बोलते हों लेकिन केजरीवाल कहते हैं कांग्रेस-बीजेपी वालों ने ऐसा नहीं होने दिया। चौदह फरवरी को केजरीवाल ने अपनी सरकार को शहीद कर दिया। उन्हें जिसने इतिहास पढ़ाया, उसने ये समझाया कि चौदह फरवरी को ही भगत सिंह को भी फांसी लगाई गई थी। इसलिए भगत सिंह और उनकी सरकार का शहादत का दिन एक ही मुकर्रर कर दिया गया। लोग क्यों कहते हैं कि भगत सिंह पैदा होना चाहिए। पर मेरे घर में नहीं पड़ोसी के घऱ में।


निजीकरण की बात न करने से मिडिल क्लास नाराज़ हो जाएगा। इसलिए कैपिटलिज्म का समर्थन करो। क्रोनी कैपिटलिज्म का नहीं। जनता अपने-आप समझ जाएगी। आखिर जनता को ही तो बेवकूफ बनाना है। वो भी कुछ दिन के लिए। सरकार न चला पाओ तो क्या है, जनता के सामने दिन में पचास बार कांग्रेस-बीजेपी, राहुल-मोदी, अंबानी-अदानी बोलते रहो। सब सेट हो जाएगा। 

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