Friday, March 07, 2014

भारतीय राजनीति की आइटम गर्ल

जिस वक्त अरविंद केजरीवाल बतौर दिल्ली के मुख्यमंत्री रेल भवन पर धरने पर बैठे थे. तब मेरा वहां से गुजरना हुआ। वहां के अनुभव को मैंने ट्विटर पर 140 शब्दों में कैद किया था। वो ट्वीट कुछ इस प्रकार था।


Jan 20
इस पार्टी की ताक़त है टीवी कैमरे। शाम को धरना स्थल पर गया था। कैमरा देखते ही लोग शुरू हो जाते हैं। कैमरा हटा दीजिए, ये नौटंकी खत्म हो जाएगी!

ये ट्वीट अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के गठन से पहले की घटनाओं और गठन के बाद चुनावों में मिली शानदार कामयाबी के बाद बनी सरकारी के मेरे अनुभवों पर आधारित था। लेकिन अब ये स्पष्ट होता जा रहा है कि इस ट्वीट में लिखा एक-एक शब्द वाकई सच था।

बृहस्पतिवार को मैं बीजेपी मुख्यालय पर ही था जब आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने वहां प्रदर्शन किया। इससे पहले गुजरात दौरे पर गए अरविंद केजरीवाल को रोका गया था। जिसे आम आदमी पार्टी ने गिरफ्तारी का नाम दिया। अब चुनाव आयोग भी कह चुका है कि केजरीवाल ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया था।

बीजेपी मुख्यालय पर भी कैमरों को देख कर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं की उत्तेजना देखते ही बनती थी। जैसे ही कैमरों को ध्यान उन पर जाता, उनके नारों का डेसीबल लेवल बढ़ जाता था। कैमरे देख कर उन्हें इतना जोश आया कि बीजेपी मुख्यालय पर लगे होर्डिंग फाड़ने लगे। वाटर कैनन की गाड़ी पर चढ़ गए और उसे नुकसान पहुँचाने की कोशिश करने लगे।

कहा जाता है- जहां न पहुँचे रवि, वहां पहुँचे कवि।

 मगर आम आदमी पार्टी के बारे में अब ये कहना पड़ेगा

 जहां पहुंचे कैमरे, वहां पहुंचे आम आदमी पार्टी

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