(पिछले ब्लॉग में
आपने पढ़ा था कि धरती नाम के गोले पर नरक काटने के बाद पीके जब वापस अपने गोले पर
गया तो क्या हुआ। अब आगे पढ़िए)
दोस्तों को पीके की
कहानी सुन कर बहुत मज़ा आया। पर उनके मन में कई सवाल उठने लगे। एक ने पूछा क्यों
बे! तू खुद एयर पोर्ट से घर जाते वक्त टिपोरी देव के
यहां मत्था टेक कर आया। बेचारे धरती वालों को क्यों उलजूलूल का ज्ञान दे रहा था।
दूसरे से भी नहीं रहा गया। वो पूछ ही बैठा कि धरती नाम के गोले पर लोग चर्च में
शादी करने जाते हैं तो क्या मैरिज रजिस्ट्रार भी वहीं बैठता है। तीसरे ने मज़े
लेने के लिए पूछा राजस्थान की तपती गर्मी में लोग शीशे बंद कर कार में ऐसा क्या करते
हैं कि वो कार नाचने लगती हैं पर गर्मी का उन पर कोई असर नहीं होता। पीके तूने
बताया कि लॉक अप में जाने के लिए तूने पेशाब की। जिस शहर की हर सड़क पेशाब की बदबू
से लिपटी है क्योंकि हज़ारों लोग सड़कों पर ही निपटते हैं वहां तूझे सिर्फ इसी
जुर्म में कोई पुलिसवाला लॉक अप में क्यों बंद करेगा भाई।
पीके अपने दिमाग पर
ज़ोर डालने लगा पर उसे तुरंत कोई जवाब नहीं सूझे। आखिर में उसने तंग हो कर कहा
भेजा लुल मत करो। इस पर दोस्त ने पूछ लिया तू छह घंटे तक सेक्स वर्कर का हाथ पकड़
कर बैठा रहा जिससे तूने भोजपुरी सीखी। पर तू ये नहीं सीख पाया कि कंडोम क्या है और
बेचारी जगत जननी के न्यूज़ चैनल के दफ्तर में आधे घंटे तक कंडोम दिखा-दिखा कर सबको
शर्मिंदा करता रहा। पीके चुप रहा। फिर एक नया सवाल आया। स्टेशन पर इतना भीषण
विस्फोट हुआ कि तेरे सामने खड़ा भैरो सिंह मर गया पर तू सही सलामत वापस आ गया। ये
कैसे हुआ। काफी देर से चुप एक दोस्त ने पूछा यार पीके ये बता कि सरफराज हर रोज
कराची से बेल्जियम में पाकिस्तानी एंबेसी में फोन कर पूछता था कि जग्गू का फोन आया
या नहीं। मगर जैसा तूने बताया कि धरती नाम के गोले पर एक गूगल बाबा भी है। इंटरनेट
और स्मार्ट फोन का ज़माना है। क्या वो गूगल या यूट्यूब पर जा कर जग्गू के बारे में
सर्च नहीं कर सकता था खासतौर से तब जब जग्गू एक न्यूज चैनल में काम करती थी। बेचारा
रोज़ बेकार में ही आईएसडी पर पैसे बिगाड़ता था।
फिर एक नया सवाल
आया। पीके कॉलेज के सामने तूने पत्थर पर पान का कत्था लपेट कर भगवान बनाया।
परीक्षा देने जा रहे स्टूडेंट प्रणाम करने लगे, चढ़ावा देने लगे। तूने कहा देखो
इनका डर। तूने ये नहीं देखा कि ये डर है या फिर उम्मीद, आस्था या विश्वास। तूझे वहां
कुछ फर्जी बाबा मिले तो तूने सोचा भगवान से कनेक्शन बिठाने वाले सारे ऐसे ही हैं।
पर क्या वहां ऐसे लोग नहीं थे जो कहते हैं कि भगवान हर जगह है। हर प्राणी में भी।
कण-कण में भी। जिस मजहब में तैंतीस करोड़ देवताओं की बात होती है वहां एक पत्थर को
पूजने पर तूने हैरान हो कर इतना बवाल क्यों काटा बे।
एक दूसरे दोस्त ने
कहा तूने दुकानदार की बात पर भरोसा किया जो भगवान की मूर्तियां बेच रहा था। क्या
तूने ये पता करने की कोशिश की कि सारे लोग ऐसे ही हैं या कुछ ऐसे भी हैं जो भगवान
से मिलने का रास्ता बताते हैं। तूने ये नहीं सोचा कि लोगों को मुसीबत में भगवान ही
क्यों याद आता है। अगर लोगों को उस पर भरोसा है तो इसमें इतना परेशान होने की क्या
बात है। तूने तपस्वी का भांडा फोड़ अच्छा किया। हमें पता लगा कि वहां कुछ बाबा ऐसे
भी हैं जो टीवी पर लोगों को ये बोल कर बेवकूफ बनाते हैं कि समोसा खाओ तो कृपा हो
जाएगी। पर तू ये क्यों भूल गया कि उस धरती पर ज़्यादातर लोग सच्चे हैं, तपस्वी की
तरह मक्कार या झूठे नहीं। तू ये क्यों मान बैठा कि धरती पर सब लोग ईश्वर, अल्लाह
या गॉड को मानते हैं। कई ऐसे भी हैं जो किसी को नहीं मानते और उन्हें कोई इसके लिए
जबर्दस्ती नहीं करता।
पीके इन सवालों से
तंग हो चुका था। उसने झुंझलाहट में पूछा तुम सब तो मुझसे इस तरह से सवाल कर रहे हो
जैसे मैंने कोई गलत काम कर दिया हो। मैं तो सिर्फ तपस्वी को एक्पोज़ करना चाहता था
ताकि जग्गू के करीब जा सकूं। वापसी का रिमोट तो बहाना था असली इरादा तो जग्गू के
नजदीक रहना था। तुम ही बताओ अपने गोले पर ऐसी कोई टीवी रिपोर्टर होगी जो सड़क चलते
किसी भी आदमी को स्टोरी की चाह में अपने घर पर ले आए और उसके साथ खूब नाचे।
दोस्त खिलखिलाकर हंस
पड़े। एक ने पीके के कंधे पर हाथ मार कर कहा साले। हम तो वाकई लुल ही निकले। तू तो
बड़ा स्मार्ट है रे। दूसरे ने आँख मारी और बोला अब तू घर जा कर क्या करेगा। भाभी
तो बहुत गुस्से में है। पीके सोच में पड़ गया। बोला वाकई यार अब तो घर जाने का कोई
मतलब नहीं है। बाकी दोस्त भी तफरीह के मूड में आ गए। बोले चल यार पीके। चल हम सब
चलते हैं। एक बार फिर धरती नाम के गोले पर। हम भी मौज करके आते हैं आखिर ऐसे
बेवकूफ कहां मिलेंगे जो अपना मज़ाक उड़वाने के भी पैसे देते हों।
अब इंतज़ार कीजिए
बड़े पर्दे पर पीके 2 का।।
बहुत सही कही है आपने
ReplyDeletedhhhaaannnssshhhuuuuuuuuuuuuuu
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