वोटों की गिनती १६ मई को सुबह शुरू होगी और दोपहर तक तस्वीर साफ हो जाएगी कि किसकी सरकार बनेगी। अगर जनमत सर्वेक्षणों और एक्ज़िट पोल के रूझान परिणाम में बदलते हैं तो नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए सरकार बन सकती है। सवाल ये है कि किस तरह की होगी ये सरकार और मोदी के मंत्रिमंडल में कौन-कौन शामिल हो सकता है और किसे कौन सा मंत्रिमंडल मिल सकता है?
इसके लिए मोदी के काम करने के तरीक़े को देखना होगा। गुजरात में वो २००१ से मुख्यमंत्री हैं। सत्ता संचालन के सारे सूत्र उनके हाथ में हैं। वो राज्य के सर्वेसर्वा हैं। पार्टी संगठन की चाबी भी उन्हीं के पास है। प्रदेश अध्यक्ष और आरएसएस से आने वाले संगठन मंत्री की तैनाती में उनकी पसंद का ख़ास ध्यान रखा जाता है। मंत्रियों की जवाबदेही वो तय करते हैं। परफार्मेंस आडिट होता है। अफ़सरों और टेक्नोक्रेट के ज़रिए ज़्यादा चलती है सरकार।
संभावना है कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने पर गृह मंत्रालय अपने पास ही रखें और भरोसे के राज्य मंत्रियों के सहारे देश के सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में से एक, ये मंत्रालय चलाएँ। ये संभवतः अपने-आप में अनूठा प्रयोग होगा। अमूमन गृह मंत्री को प्रधानमंत्री के बाद सरकार में नंबर दो माना जाता है। लेकिन ऐसा करके मोदी ये बहस ही खत्म कर सकते हैं।
सिर्फ गृह मंत्रालय ही नहीं, संभावना ये भी है कि मोदी इंफ़्रास्ट्रक्चर के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण भूतल परिवहन और जहाज़रानी जैसे मंत्रालय भी सीधे अपने पास ही रखें। ऐसा करके निवेश और रोज़गार सृजन के लिहाज़ से अति महत्वपूर्ण इन मंत्रालयों में वो कामकाज में तेज़ गति ला सकते हैं।
रायसीना हिल या टीले पर नार्थ ब्लाक और साउथ ब्लाक में चार महत्वपूर्ण मंत्रालय हैं। गृह, वित्त, विदेश और रक्षा। मोदी के भरोसेमंद अरुण जेटली वित्त मंत्रालय की ज़िम्मेदारी संभाल सकते हैं। जबकि सुषमा स्वराज को विदेश मंत्रालय की ज़िम्मेदारी दी जा सकती है। मोदी की कोशिश होगी कि राजनाथ सिंह सरकार में आएँ। हालाँकि वो इससे इनकार कर चुके हैं। उनके राज़ी होने पर उन्हें रक्षा मंत्रालय दिया जा सकता है। किसी भी सहयोगी पार्टी को इनमें से कोई भी महत्वपूर्ण मंत्रालय मिलने की संभावना न के बराबर है। आरएसएस साफ़ कर चुका है महत्वपूर्ण मंत्रालय बीजेपी के पास ही रहने चाहिएं। ग़ौरतलब है कि वाजपेयी सरकार में जार्ज फ़र्नांडिस रक्षा मंत्रालय संभालते थे।
पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं जैसे वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, रविशंकर प्रसाद आदि का सरकार में शामिल होना तय माना जा रहा है। हालाँकि गडकरी पार्टी अध्यक्ष बनने के इच्छुक हैं। बड़ी संख्या में पार्टी संगठन से वरिष्ठ नेता सरकार में जाएँगे। पार्टी महासचिव अनंत कुमार, धर्मेंद्र प्रधान, राजीव प्रताप रूड़ी, जगत प्रकाश नड्डा, थावरचंद गहलोत मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए जा सकते हैं। अरुण शौरी की वापसी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
बीजेपी के सहयोगी दलों को भी मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। शिवसेना, अकाली दल और लोक जनशक्ति पार्टी के नेताओं को कई महत्वपूर्ण मंत्रालय मिल सकते हैं। शिवसेना के नेता सुरेश प्रभु को भी बड़ी ज़िम्मेदारी दी जा सकती है। कुल मिला कर मोदी की कोशिश होगी कि मंत्रिमंडल बहुत बड़ा न हो।
फिर भी लाल कृष्ण आडवाणी की भूमिका को लेकर सवाल बचा रह जाता है। ये संभावना न के बराबर है कि वो मंत्री बनेंगे। अधिक संभावना ये भी है कि वो एनडीए के कार्यकारी अध्यक्ष के अपने पद पर बने रहें। जबकि मुरली मनोहर जोशी अगर सरकार में शामिल होने से इनकार करते हैं तो उन्हें स्पीकर की ज़िम्मेदारी भी दी जा सकती है।
ज़ाहिर ये सब सिर्फ सम्भावनाएँ ही हैं। बीजेपी में अभी इस बारे में प्राथमिक स्तर पर भी चर्चाएँ भी शुरू नहीं हुई हैं क्योंकि तमाम नेताओं की पूरी ऊर्जा चुनाव प्रचार में ही लगी हुई थी। लेकिन १२ मई के बाद से नतीजे आने तक पार्टी में ये चर्चाएँ ज़रूर शुरू हो जाएंगी। ज़ाहिर है सब कुछ १६ मई को आने वाले नतीजों पर ही निर्भर करेगा। तब तक शपथ के लिए शेरवानियां सिलाने का आर्डर तो कई नेता दे ही सकते हैं।
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