Sunday, May 11, 2014

'कमल निशान और नंबर तीन'


सुबह अख़बार खोला तो एक पर्चा झटक कर गिर गया। बनारस लोक सभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी का पर्चा। इसमें गुजरात में किसानों की भलाई के लिए किए गए मोदी सरकार के कामों का ब्यौरा है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकारों द्वारा किसानों के कल्याण के लिए उठाए गए क़दमों का ज़िक्र है। आख़िर में बनारस के लोगों से अपील है "मत भूलो मतदान का दिन, कमल निशान और नंबर तीन!"

दरअसल, बनारस चुनाव में ईवीएम पर नरेंद्र मोदी का नाम तीसरे नंबर पर है। इसीलिए बीजेपी मतदाताओं को उनके नाम, ईवीएम पर क्रम और चुनाव चिन्ह के बारे में बता रही है। पर्चे के आख़िर में क्रम संख्या ३ के साथ नरेंद्र मोदी का नाम और कमल निशान के साथ फ़ोटो दिया गया है ताकि वोटरों को पहचानने में आसानी हो।

वैसे मोदी का नाम चाहे ईवीएम पर तीसरे नंबर पर हो, मगर मतगणना के दिन पहले नंबर पर रहेगा, इस बात को लेकर कम ही लोगों के मन में संदेह है। नरेंद्र मोदी ने बनारस शहर में सिर्फ दो दिन प्रचार किया है। पहली बार २४ अप्रैल को पर्चा भरते वक़्त और दूसरी बार आठ तारीख़ को रोहनिया में चुनावी सभा और उसी दिन बीएचयू से रथयात्रा चौराहे पर बीजेपी चुनाव कार्यालय तक गाड़ी से सफ़र। जिसे रोड शो का नाम नहीं दिया गया लेकिन था वो रोड शो ही।

प्रचार के अंतिम दिन बनारस में राहुल गांधी ने कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय के पक्ष में रोड शो किया तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार कैलाश चौरसिया के पक्ष में रोड शो किया। आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल नौ तारीख़ को रोड शो कर चुके थे। बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार ग्रामीण इलाक़ों में प्रचार कर रहे हैं।

लेकिन बाक़ी तमाम दलोंे में लड़ाई दूसरा-तीसरा या चौथा नंबर हासिल करने की है। सबसे ज़्यादा प्रतिष्ठा अरविंद केजरीवाल की दाँव पर लगी है जिन्होंने इस लोक सभा चुनाव में अपना एकमात्र लक्ष्य नरेंद्र मोदी को हराने का रखा है। केजरीवाल की कोशिश है किसी तरह से दूसरे नंबर पर आने की लेकिन स्थानीय कांग्रेसी विधायक अजय राय इसमें आगे दिख रहे हैं। राहुल के रोड शो से भी अजय राय के हौंसले बुलंद हुए हैं। आम आदमी पार्टी के समर्थकों का दावा था कि शहर के तीन लाख मुसलमान एक मुश्त केजरीवाल के पक्ष में हैं और अजय राय को समर्थन देने की मुख़्तार अंसारी की अपील का उन पर असर नहीं हुआ है। जबकि हक़ीक़त में ऐसा है नहीं । मुस्लिम मतदाताओं का बड़ा हिस्सा कांग्रेस के पक्ष में है। जबकि बाकी वोट आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी में बंट रहे हैं। 

सपा उम्मीदवार चौरसिया को राज्य में पार्टी की सरकार होने का फ़ायदा भी मिल रहा है। स्थानीय डीएम प्रांजल यादव के विवाद और शहर में उनके विकास कार्यों की सेहरा भी उन्हें मिलने की वजह से मोदी विरोधी मतदाताओं में केजरीवाल की तुलना में समाजवादी पार्टी के प्रति अधिक आकर्षण है। लेकिन ग़रीब तबके और कुछ ग्रामीण इलाक़ों में ज़बर्दस्त प्रचार का फ़ायदा केजरीवाल को मिला है। इसलिए नंबर दो-तीन और चार की लड़ाई इन्हीं तीनों उम्मीदवारों के बीच है। 

जहाँ तक बीजेपी का सवाल है उसकी कोशिश मोदी को बड़ी जीत दिलाने की है। पिछले चुनाव में मुरली मनोहर जोशी बमुश्किल क़रीब १७ हज़ार वोटों से जीत पाए थे। बीजेपी का लक्ष्य है कि मोदी बनारस में वड़ोदरा से भी ज़्यादा वोटों से जीते। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह इशारा कर चुके हैं कि दोनों सीटों से जीतने की सूरत में मोदी बनारस अपने पास रखेंगे। बीजेपी की कोशिश है कि मतदान ज़्यादा हो ताकि जीत का फ़ासला बढ़ सके। पार्टी बनारस से कह रही है वो एम पी के लिए वोट डालेंगे लेकिन उन्हें पीएम भी मिलेगा। यानी बाय वन, गेट वन फ़्री!! 

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