बाल पक जाएंगे.
दाँत गिर जाएंगे.
पोपले मुंह से निकलेंगी हिसहिसाती आवाज़ें
जिनका मतलब जिसकी जो समझ में आए लगा ले.
'पापा आप बूढ़े हो जाओगे तब मेरे क्या होगे.
क्या तब भी आप मेरे पापा ही रहोगे.'बचपन के इन सवालों पर जवानी में आती है हँसी
लेकिन सामने खड़ा बुढ़ापा दिखाता है कई हकीकतें.
डरावनी शक्लें लिए खड़ा होता है सामने भविष्य.
इसके डर से आज भी हैरान परेशान है.
कहता है तू कल की क्यों सोचता है.
मैं आज हूं मुझे जी भर के जी ले.
फिर अखबार के पन्नों पर दिखते हैं विज्ञापन.
अपने बुढ़ापे को सुरक्षित करने के लिए अपनाएं पेंशन प्लान.
या विशेषज्ञों के वो लेख जो कहते हैं आपको बुढ़ापे में चाहिए होंगे 10 करोड़ रुपए.
ताकि संतानों की पढ़ाई का खर्चा उठा सकें और अपना बुढ़ापा खुशी-खुशी बिता सकें..
बुढापे के सुखी जीवन की चिंता में आज जवानी में हो रहे हैं बाल सफेद.
जवानी के दिन दुख में बिताओ ताकि बुढ़ापे में सुख चैन से जी सको.
ऐसे ही एक दिन धीमे कदमों से बुढ़ापा दे देगा दस्तक.
क्या बुढ़ापा रोकने का भी है कोई पेंशन प्लान. कोई एसआईपी. जो सलवटों को मिटा दे और दे सुकून आज को जीने का....
कहता है तू कल की क्यों सोचता है.
ReplyDeleteमैं आज हूं मुझे जी भर के जी ले.
bhut bada chintan he
good
bahut khub
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteसर कल की फ़िक्र छोड़ो आज को पहले देखते है.
ReplyDeleteसिपाहियों के चिताओं अब भी नेता वोट सीखते है
मारे उन्होंने ७५ जो भूख के कारन बन्दूक थामने की बात करते है.
बड़े ऑफिसर मुह पे कपडा लगा कर सामने आते क्योंकि उनसे डरते है.
लोकतंत्र का चोथा खम्बा सानिया में ब्यस्त है.
सरकारी मशिनिरी हमारी में ब्रष्ठाचार में लिप्त है.
क्या कहे, किससे कहे कुछ समझ नहीं आता है.
बस आपना दिन ब्लॉग लिखने में गुजर जाता है
@ उड़नतश्तरी धन्यवाद महोदय
ReplyDelete@शेखर आपका बहुत बहुत धन्यवाद
@अनूप जोशी... सही कहा मित्र. सान्या मिर्ज़ा की शादी नहीं हुई चूं-चूं का मुरब्बा हो गया... जिसके मन में जो आ रहा है बकवास किए जा रहा है चैनलों पर.
बहुत सही लिखा है,भागमभाग मे शायद सब उस कल के लिये जी रहे हैं जिसका किसी को पता तक नही है.और इसी चक्कर मे हम उस आज को जी भी नही पा रहे है जो हमारी मुट्ठी से फ़िसला जा रहा है.
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