Thursday, August 05, 2010

इस खेल को कामयाब करो!

तो क्या भारत की नाक कटनी तय है?
अगर ऐसा हुआ तो कम से कम एक इंसान तो बहुत खुश होगा. उसका नाम है मणिशंकर अय्यर.
आखिर वो सार्वजनिक रूप से बोल भी चुके हैं कि अगर कॉमनवेल्थ गेम्स नाकाम होते हैं तो इससे उन्हें बहुत खुशी होगी.
लगता है हालात उसी दिशा में जा रहे हैं. सिर्फ साठ दिन बचे हैं कॉमनवेल्थ गेम्स होने में. अखबार-टीवी भ्रष्टाचार, घपलों और घोटालों की ख़बरों से भरे पड़े हैं.
अय्यर की बददुआयें रंग ला रही हैं. अय्यर का श्राप पूरा होता दिख रहा है.
लेकिन इससे फायदा किसे है.
आप पूछ सकते हैं गेम करवाने से किसे फायदा है. क्यों करोड़ों रुपए खर्च कर कॉमनवेल्थ गेम कराये जा रहे हैं जबकि भारत की आधी आबादी अब भी भूखी सोती है.
क्यों बदसूरत दिल्ली की प्लास्टिक सर्जरी कर उसकी शक्ल बदली जा रही है. वो भी ऐसी सर्जरी जिसका प्लास्टर कुछ दिनों बाद उखड़ जाएगा और दिल्ली पहले से भी ज्यादा बदसूरत नज़र आएगी.
मुझे तो लगता है कि गेम्स होने चाहिएं और बिल्कुल कामयाब भी होने चाहिएं.
मैं अय्यर की बातों से इत्तफाक नहीं रखता. बल्कि मुझे तो लगता है कि यूपीए-1 में बतौर खेल मंत्री खुद अय्यर ने गेम्स को कामयाब बनाने के लिेए कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और इसी का नतीजा है कि आज सबके मन में शंका है कि आखिर ये गेम्स कामयाब हो पाएंगे या नहीं.
सुरेश कलमाड़ी और उनके गुर्गों के भ्रष्टाचार की कहानियां तो गेम्स खत्म होने के बाद भी चलती रहेंगी.
लेकिन अभी सबकी जिम्मेदारी ये है कि गेम्स को कामयाब बनाने के लिए जी-तोड़ मेहनत करें.
प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी की चुप्पी से मुझे हैरानी है. ये कोई नीतिगत फैसला नहीं है कि अगर सब तरफ आलोचना हो तो बाद में कांग्रेस पार्टी कह दे कि सोनियाजी की ये राय नहीं थी और उससे उन्हें अलग कर ले.
गेम्स अगर नाकाम होते हैं तो सबकी नाक कटेगी. आखिर पश्चिमी देशों के मीडिया में तो अब भी यही बात होती है कि भारत चाहे विकसित देश बनने की दिशा में कदम आगे बढ़ा रहा हो लेकिन उसके पैरों में वो ताकत नहीं है जो उसे इस मैराथन को पूरा करने के लायक बना सके.
मुझे नहीं लगता है कि गेम्स कामयाब हो भी गए तो पश्चिमी मीडिया की भारत के बारे में ये सोच बदलेगी.
लेकिन अगर नाकाम रहे तो समझ लें कि ये हमला और तेज़ होगा.
तो अब तो नाक का सवाल है. चाहे आपको ये गेम्स पसंद हों या न हों, लेकिन अब इसके अलावा कोई चारा नहीं है कि इन्हें हर हाल में कामयाब बनाया जाए.

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