संसद के विशेष सत्र के बारे में कुछ बातें समझना जरूरी हैं
-किसी बिल को पारित करने के लिए आज तक कभी विशेष सत्र नहीं बुलाया गया और न ही बुलाया जाएगा
- विशेष सत्र केवल देश की उपलब्धियों, आकांक्षाओं और सपनों को साझा करने के लिए बुलाए गए हैं
- लोक सभा भंग करने के लिए विशेष सत्र नहीं होता। उसके लिए कैबिनेट की मंजूरी काफी है
- बीजेपी अब कभी भी समय से पहले चुनाव नहीं कराएगी। 2004 की कड़वी यादें भूली नहीं हैं
- संसद के इस विशेष सत्र में ज्वाइंट सेशन नहीं होगा। यानी लोक सभा और राज्य सभा एक साथ नहीं बैठेगी। वैसे भी ज्वाइंट सेशन में कोई बिल तभी लाया जाता है जब दोनों सदनों में आपस में गतिरोध हो। ऐसा अभी कोई बिल पेंडिग नहीं है। देश के इतिहास में केवल तीन बिल ज्वाइंट सेशन में पारित कराए गए हैं।
- एक देश एक चुनाव असंभव तो नहीं लेकिन बहुत कठिन है। इसके लिए संविधान संशोधन, लोक सभा का कार्यकाल बढ़ाना/घटाना, विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाना/घटाना और इन सबके लिए सौ प्रतिशत सहमति बनानी होगी। चुनावी वर्ष में और मौजूदा कड़वाहट के माहौल में यह सहमति बननी असंभव है।
- समान नागरिक संहिता पर केंद्र सरकार मौजूदा कार्यकाल में बिल नहीं लाएगी। आदिवासी मतदाताओं में किसी तरह का भ्रम नहीं चाहेगी सरकार। जब तक लोगों को यह समझ न आए कि समान नागरिक संहिता महिलाओं के सशक्तिकरण के बारे में है, इस पर आगे बढ़ने में कोई लाभ नहीं दिखता।
- महिलाओं को विधायिका में 33 प्रतिशत आरक्षण का बिल राज्य सभा ने 2010 में पारित किया। लेकिन विरोध के चलते उसके बाद से कोई सरकार इसे लोक सभा में नहीं ला सकी। इस पर भी बिना आम राय बनाए सरकार आगे नहीं बढ़ेगी।
- जम्मू कश्मीर को राज्य दर्जा बहाल करने के बारे में सरकार कह चुकी है कि पहले वहां चुनाव होंगे उसके बाद इसके बारे में विचार किया जाएगा
तो सरकार विशेष सत्र क्यों बुला रही है
- नरेंद्र मोदी सरप्राइज देने के लिए जाने जाते हैं। पर इस विशेष सत्र को लेकर किसी बड़ी सरप्राइज की उम्मीद न रखें।
- बिना एजेंडे के आज इस विशेष सत्र की घोषणा मुंबई में इंडिया गठबंधन के खबरों में पलीता लगाने की रणनीति भी है। आज जितनी चर्चा इंडिया बैठक की हुई, उससे कहीं ज्यादा संसद के विशेष सत्र की हुई
- अगले महीने जब सत्र शुरू होगा, भारत जी -20 बैठक की सफल मेजबानी कर चुका होगा। यह भारत के लिए कुछ वैसी ही विशेष उपलब्धि है जैसे अतीत में निर्गुट सम्मेलन की मेजबानी कर हासिल की गई थी। यह वैश्विक मंच पर भारत की धाक और उसके नेतृत्व का एक बड़ा सबूत है। गुट निरपेक्ष आंदोलन में शामिल देशों की संख्या 120 है। जबकि भारत जिस तरह से जी 20 के विस्तार में भूमिका निभा रहा है उसके बाद इसे जी 120 कहा जाने लगा है।
- चंद्रायान 3 ने कीर्तिमान स्थापित किया है। यह एक विशिष्ट उपलब्धि है। भारत अब चौथा देश है जिसने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक उतरने वाला भारत पहला देश है। इसरो के सोशल मीडिया अकाउंट पर चंद्रयान 3 के प्रसारण ने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। पूरे देश में इस उपलब्धि का जश्न मनाया गया। तो संसद पीछे क्यों रहे? अमृत काल में देश की सामूहिक शक्ति का एक बेहतरीन नमूना होगा संसद से इस उपलब्धि के बारे में एक सुर में आवाज निकलना।
- जी 20 और चंद्रायन 3 की उपलब्धियों से बेहतर अमृत काल की शुरुआत नहीं हो सकती। अमृत काल नया काम शुरू करने के लिए सबसे अच्छा और सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है। पुराने संसद भवन से नए संसद भवन पर गणेश चतुर्थी पर अमृत काल का श्रीगणेश इससे बेहतर संयोग और क्या हो सकता है। मुझे लगता है संसद के विशेष सत्र का यही उद्देश्य है। बाकी हमें सरप्राइज तो होना ही है।
Good Observation. My answer also same.
ReplyDeleteThank you
DeleteNice
DeleteBilkul satik aanuman
ReplyDeleteThanks
Deleteआपके विश्लेषण से सहमत है
ReplyDeleteThank you
DeleteAkhilesh sir aap hamesha seedhi saaf baat kah kar suspense ka maza nahi lene dete 😅😅
ReplyDeleteशानदार और सटीक विश्लेषण!
ReplyDeleteसटीक
ReplyDeleteबहुत सुन्दर विश्लेषण।केन्द्र शासन की उपलब्धियां और नवीन संसद भवन की शुरुआत इस विशेष सत्र का उद्देश्य हो सकता है।
ReplyDeleteIt might be true anyway..good analysis without any personal remarks on anyone.. appreciable..👍
ReplyDeleteविश्लेषण के पूरे नंबर आपको 👍👍
ReplyDeleteVery knowledgeable observation and i think this excellent analysis..keep it up
ReplyDeleteआपका विश्लेषण सत्यता के काफी नजदीक लग रहा है। मुझे भी कुछ ऐसी ही उम्मीद है
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