कैसे बना हमारा संविधान?
संविधान सभा की बैठक |
हमारा
संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है. ये रातों-रात नहीं बन गया. इसके
लिए देश को आजादी दिलाने वाले बड़े-बड़े धुरंधरों ने करीब तीन साल तक कड़ी मेहनत
की.
सन्
1946. ये तय हो चुका था कि अंग्रेज़ बोरिया-बिस्तर उठा कर जाने वाले हैं.
अंग्रेजों
के कैबिनेट मिशन और भारतीय नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत के बाद तय हुआ कि
संविधान बनाने के लिए संविधान सभा का गठन होगा.
प्रांतीय
विधानसभाओं को संविधान सभा के सदस्यों को चुनने का अधिकार दिया गया. सामान्य सीटों
पर कांग्रेस के सदस्यों ने भारी जीत हासिल की जबकि मुसलमानों के लिए आरक्षित सीटें
मुस्लिम लीग ने जीत लीं.
राजे-रजवाड़ों
को भी अपने नुमाइंदे भेजने को कहा गया.
संविधान
सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को दिल्ली में हुई.
लेकिन
छह महीनों बाद सिंध, पूर्वी बंगाल, पश्चिमी पंजाब, बलूचिस्तान और नॉर्थ वेस्ट
फ्रंटियर राज्यों ने पाकिस्तान के लिए अपनी अलग संविधान सभा बना डाली.
इस
तरह भारत की संविधान सभा में 271 सदस्य थे. मुस्लिम लीग के 28 सदस्य भी इसमें
शामिल हुए और राजे-रजवाड़ों के 93 सदस्यों को नामांकित किया गया.
15
अगस्त 1947 को भारत आज़ाद हुआ. संविधान सभा देश की पहली संसद बनी.
डॉक्टर
राजेंद्र प्रसाद इसके अध्यक्ष बने और बी एन राव संवैधानिक सलाहकार.
संविधान
सभा ने दो साल 11 महीनों और 17 दिनों में 105 बैठकों में संविधान बनाया.
सभा
ने 18 समितियाँ बनाईं जिन्होंने संविधान की अलग-अलग धाराओं पर काम किया.
फरवरी
1948 में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष चुना गया.
इसी
कारण उन्हें संविधान का निर्माता कहा जाता है. ये बात अलग है कि संविधान को
अमली-जामा पहनाने में बी एन राव की सबसे बड़ी भूमिका रही.
साथ
ही, जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल, सी राजगोपालचारी, शरतचंद्र बोस, मौलाना आज़ाद,
एस के सिन्हा, रफी अहमद किदवई, श्यामाप्रसाद मुखर्जी जैसे कई बड़े नेताओं ने आपसी
मतभेदों को ताक पर रख कर काम किया.
ये
कांग्रेस की दूरदर्शी सोच थी कि संविधान सभा में बहुमत होने के बावजूद कई विरोधी
दलों के नेताओं को शामिल किया.
26
नवंबर 1949 को संविधान को अंतिम रूप दिया गया. उस दिन संसद भवन के बाहर बारिश हो
रही थी. इसे शुभ संकेत माना गया.
संविधान
को 26 जनवरी 1950 को सुबह दस बजकर 18 मिनट पर लागू किया गया. उसके बाद संविधान सभा
अस्थाई संसद बन गई और 1952 में संविधान के तहत चुनाव करा कर पहली संसद बनाई गई.
26
जनवरी का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन 1930 में कांग्रेस ने भारत के लिए
पूर्ण स्वराज की घोषणा की थी और इसे आज़ादी के दिन के रूप में मनाना शुरू कर दिया.
ये
बात अलग है कि देश को आज़ाद करने का दिन यानी 15 अगस्त अंग्रेजों ने चुना लेकिन
आज़ाद भारत ने यही ठीक समझा कि अपना संविधान अपने आज़ादी के दिन ही लागू किया जाए.
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