मुफ़्त पानी पर उठे सवाल
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने चुनाव से पहले किए अपने वादे के मुताबिक मुफ्त पानी देने का फैसला कर दिया। अब जल्दी ही बिजली के बिलों में पचास फीसदी कटौती करने के अपने दूसरे वादे को भी पूरा करने जा रहे हैं।
मैंने फेसबुक और ट्विटर पर पहले वादे यानी हर घर को सात सौ लीटर पानी देने के फैसले पर कुछ सवाल उठाए। ज़ाहिर है आम आदमी पार्टी के प्रति सहानुभूति रखने वाले कुछ लोगों को ये पसंद नहीं आया।
मैंने आम आदमी पार्टी की वेबसाइट पर जाकर दिल्ली विधानसभा के लिए उसके संकल्प पत्र को भी खंगाला। इसमें कहा गया है कि "सरकार की जिम्मेदारी होगी कि वह सात सौ लीटर प्रतिदिन तक पानी इस्तेमाल करने वाले जलमित्र परिवारों को पानी मुफ्त उपलब्ध कराएगी। जो परिवार इससे ज्यादा पानी इस्तेमाल करेगा उससे पूरा बिल लिया जाएगा। हर रोज़ एक हजार लीटर से ज्यादा पानी का इस्तेमाल करने वाले परिवारों पर महंगी दरें लागू की जाएंगी।"
अंग्रेजी में कहा जाता है कि "The Devil is in the Detail". आम आदमी से ये अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वो राजनीतिक पार्टियों के घोषणा पत्रों के एक-एक बिंदुओं को पढ़ कर मत देने के बारे में निर्णय करें। बल्कि अधिकांश लोग अपना फैसला इस आधार पर भी तय करते हैं कि उनके बीच आकर नेता क्या वादा करते हैं।
दिल्ली में करीब बीस लाख परिवार ऐसे हैं जो अनधिकृत कालोनियों और झुग्गी-झोपड़ी बस्तियों में रहते हैं। मोटे तौर पर ये दिल्ली की करीब आधी आबादी है। इन इलाकों में पानी की सप्लाई के लिए पाइप लाइनें नहीं हैं। अधिकांश इलाकों में टैंकरों से पानी की सप्लाई होती है। और ये अपने पानी के लिए टैंकर माफिया पर निर्भर हैं।
दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को इन इलाकों से भारी समर्थन मिला। पारंपरिक रूप से कांग्रेस के समर्थक माने जाने वाले इन इलाकों ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को नहीं देखा बल्कि उसके चुनाव चिन्ह झाड़ू पर मुहर लगाई। इसके पीछे एक बड़ी वजह ये उम्मीद भी थी कि दिल्ली में अगर आप की सरकार बनी तो उन्हें सात सौ लीटर पानी हर रोज मुफ्त मिलेगा।
माना जा रहा है कि कल के फैसले का फायदा सिर्फ दस लाख परिवारों को ही होगा। जिन घरों में पानी के मीटर चालू हालत में उन्हें इसका फायदा मिलेगा। यानी ऐसे घर जहां पानी की मीटर तो लगे हैं मगर चालू हालत में नहीं हैं, वो इसका फायदा नहीं उठा पाएंगे। उनके लिए जरूरी है कि वो मीटरों को चालू करवाएं। साथ ही, अगर इस योजना का फायदा लेना है तो घरों में मीटर लगवाने होंगे। पर उसके लिए जरूरी है कि उन मोहल्लों में पाइप लाइनें बिछी हों और दिल्ली के बड़े हिस्से में ऐसा नहीं है।
इसमें भी अगर नई दिल्ली नगर पालिका और दिल्ली कैंट में रहने वाले परिवारों को हटा दें तो ये संख्या और कम हो जाएगी। हाउसिंग सोसाइटियों में रहने वाले परिवारों को भी इसका फायदा नहीं मिलेगा।
उस पर तुर्रा ये कि यही परिवार अगर महीने में बीस हज़ार लीटर से ऊपर खर्च करने पर इन्हें न सिर्फ पूरे पानी का पैसा चुकाना पड़ेगा बल्कि दस फीसदी बढ़ी दर के हिसाब से भी पैसा देना होगा।
तो ऐसे में सवाल उठता है कि मुफ्त पानी के फैसले से आखिर फायदा किसे मिला?
जिस जनता से ये वादे किये गये थे उनको इसका लाभ भी तो मिलना चाहिए अमीर लोग तो पैसे पहले भी दे सकते थे और आज भी जरूरतमंद तो अभी भी परेशान रहेगा वादे बड़े और दावे छोटे
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