Sunday, March 16, 2014

'जन-जन मोदी, घर-घर मोदी'



नरेंद्र मोदी के बनारस से चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ ही ये सस्पेंस खत्म हो गया कि वो उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ेंगे या नहीं। दिलचस्प बात ये है कि मीडिया में चाहे इसे लेकर सस्पेंस बना रहा हो, लेकिन ख़ुद नरेंद्र मोदी ये फ़ैसला पिछले साल जुलाई में ही कर चुके थे। पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं को ये जानकारी दे ै दी गई थी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेतृत्व से भी विचार-विमर्श कर लिया गया था। 

दरअसल, योजना ये थी कि मोदी गुजरात में लाल कृष्ण आडवाणी की सीट गांधीनगर से और उत्तर प्रदेश में मुरली मनोहर जोशी की सीट बनारस से चुनाव लड़ेंगे। इन दोनों ही वरिष्ठतम नेताओं को राज्य सभा भेजा जाना था। ताकि पार्टी में मोदी के नेतृत्व को लेकर कोई भ्रम नहीं रहे। लेकिन ये योजना सिरे नहीं चढ़ सकी। आडवाणी-जोशी दोनों ही इस बात के लिए तैयार नहीं हुए कि वे लोक सभा चुनाव न लड़ें। संघ भी इन दोनों नेताओं पर एक सीमा से अधिक दबाव बनाने के लिए तैयार नहीं हुआ। नतीजा ये है कि जोशी ने मोदी के लिए बनारस की सीट तो ख़ाली की, मगर उन्हें कानपुर भेजना पड़ा। इसी तरह आडवाणी गांधीनगर से ही लड़ने पर अड़े हैं लिहाज़ा मोदी पास की अहमदाबाद पूर्व सीट से चुनाव लड़ेंगे।

मोदी के सिपहसलार अमित शाह उत्तर प्रदेश में पार्टी को दोबारा खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। राज्य भर घूम कर और तमाम लोगों से मिल कर उन्होंने ये फ़ीडबैक दिया कि मोदी के नाम पर राज्य में बीजेपी को ज़बर्दस्त समर्थन मिल रहा है। मोदी की विकास और हिंदुत्व की छवि राज्य में बरसों से चली आ रही जातिगत राजनीति पर भारी पड़ रही है। मोदी का पिछड़े वर्ग का होना, बीजेपी के लिए अधिक लाभकारी हो रहा है क्योंकि पिछड़े वर्ग में ये संदेश जा रहा है कि पहली बार बीजेपी के माध्यम से देश में एक मज़बूत व्यक्ति उनके वर्ग से प्रधानमंत्री बनने जा रहा है। अमित शाह का ये भी सुझाव था कि अगर मोदी यूपी से लड़ते हैं तो इसका फ़ायदा पूरे पूर्वांचल में मिलेगा। 

वैसे उत्तर प्रदेश के लिए बीजेपी की ५३ उम्मीदवारों की पहली सूची में जातिगत समीकरणों का ख़ास ध्यान रखा गया है। संघ के हिसाब से आठ प्रांतों में विभाजित यूपी के लिए बीजेपी की सूची में ये ज़ोर है कि आस-पास की सीटों पर टिकट देते समय उम्मीदवार की जाति का ध्यान रखा जाए ताकि संतुलन बना रहे। अमित शाह राज्य के पार्टी नेताओं को ये कहते रहे हैं कि चुनाव मोदी के नाम पर लड़ा जाएगा और इसलिए लोगों को ये संदेश दिया जाए कि हर सीट पर मोदी ही चुनाव लड़ रहे हैं। यूपी में बीजेपी ने किसी दूसरे दल से गठबंधन नहीं किया है। न ही कुछ छोटे दलों के साथ तालमेल हो पाया है। इसकी भरपाई के लिए पार्टी दूसरे दलों से कुछ ताक़तवर नेताओं को अपने साथ लाकर टिकट दे रही है। बड़ी संख्या में विधायकों को भी टिकट दिया गया है। इस सबके बावजूद यूपी में बीजेपी के प्रचार का पूरा फ़ोकस नरेंद्र मोदी पर ही रहेगा। 

कोई हैरानी नहीं है कि मोदी की बनारस रैली के वक़्त शुरू हुआ 'हर-हर मोदी, घर-घर मोदी' का बीजेपी का नारा अब पूरे उत्तर प्रदेश में 'जन-जन मोदी, घर-घर मोदी' के रूप में गूँज रहा है। 

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